
मुंगेली ब्यूरो- जितेन्द्र पाठक
मुंगेली- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के संविदा कर्मचारियों ने सरकार के दमनकारी और बर्खास्त करने के आदेश के विरोध में 16 सितंबर तक नौकरी पर वापस लौटने के आदेश की प्रतियां जलाए। हड़ताल पर गए कर्मचारी ग्रेड पे, नियमितीकरण और वेतन वृद्धि जैसी अपनी मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन जारी रखे हुए हैं।

जिले में एनएचएम कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल को आज एक महीना पूर्ण हो गया, किंतु जिला सहित प्रदेश स्तर पर चल रही इस हड़ताल के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला है! सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर ड्यूटी ज्वाइन करने का नोटिस दिया है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा न करने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार के इस रवैये को कर्मचारी दमनकारी बता रहे हैं और उन्होंने इसे 16,000 से अधिक कर्मचारियों के लिए धमकी बताते हुए दमनकारी आदेश की प्रतियां जलाए है! मुंगेली जिले के एनएचएम कर्मचारियों ने सरकार पर हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया है कि सरकार प्रदेश के एनएचएम कर्मचारियों को निकाल कर नई भर्ती की धमकी दे रही है, किंतु सरकार एवं सरकार के मंत्री संघ की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करना ही नहीं चाह रहे है, संघ के सदस्यों ने बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संगठन की ओर से 30 दिनों से जारी अनिश्चित कालीन हड़ताल के दौरान कल दिनांक 15/09/2025 को राज्य कार्यालय से स्वास्थ्य सचिव का चेतावनी और धमकी भरा पत्र जारी हो गया। सरकार की संवेदनशीलता और कमर्चारियों के प्रति उसकी मंशा साफ झलक रही है इस पत्र में। पत्र के माध्यम से राज्य भर में जारी हड़ताल को तोड़ने का प्रयास किया गया है। इस दमनकारी पत्र से प्रतीत होता है कि राज्य सरकार जो बार बार संवेदशीलता की बात कर रही थी वो उसके पास है ही नहीं। कर्मचारी संगठन की ओर से 170 बार से ज्यादा विधायक मंत्री और न जाने कितने ही सत्ताधारी पार्टी के लोगों को ज्ञापन दिए। यह संगठन के संवेदनशीलता का परिचय था, जिसे संगठन ने अपनी मांगो और जन सामान्य की असुविधा को ध्यान में रखते हुए कार्य किया ताकि किसी भी प्रकार के बेमुद्दत हड़ताल की आवश्यकता न पड़े!
एनएचएम कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि शासन के असंवेदनशील रवैए और सुस्त चाल के कारण आज स्वास्थ्य सुविधाएं पूरे प्रदेश पटरी से उतर गई। सरकार चाहती तो घोषणा पत्र में किए गए वायदों को ध्यान में रखते हुए इन विषयों पर कार्यवाही कर सकती थी। पर शायद चुनाव जीतने के उपरांत वादों की प्राथमिकताएं वोट बैंक अनुसार बदल जाती है, कर्मचारी संगठनों की मांगे हाशिए पर चली जाती है। सरकार में बड़े ओहदों पर आसीन प्रशासनिक अधिकारी गण भी अपनी कलम बचाते हुए नियमों का हवाला देकर अपना हाथ खींच लेते है। कोई भी ऐसा प्रशासनिक अधिकारी नहीं जो इनकी मांगो को गम्भीरता से विचार कर उनके लाभ हानि को सरकार के पटल पर रखे। वो सरकार के नुमाइंदे जो केंद्र और राज्य की साख बचाने में लगे होते है उनको सालों से कोल्हू के बैल की तरह काम करने वाले कर्मचारी कभी दिखाई नहीं देते जिनकी बदौलत वो बड़े बड़े मंचों में दिल्ली जाकर अवॉर्ड लेकर आते है। इन सम्मान में कही भी वो निचले स्तर के कर्मचारियों का कोई लाभ नहीं होता और इस ढकोसले से उनका घर नहीं चलता। कर्मचारी अपनी रोजी रोटी पेट पालन और भविष्य की चिंता में दिन रात अपनी सेवा दे रहा है और सरकार से यही तो मांग रहा है कि उनका भविष्य सुरक्षित हो जाए। बाबा साहब के बनाए हमारे भारतीय संविधान में पहली लाइन है, हम भारत के लोग मतलब हमको वो सारे हुकूक अधिकार है जो संविधान ने हमें दिए है। अपने जीवन यापन, भविष्य के प्रति सुरक्षा, रोजगार और चुनी हुई सरकारों से सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार की मांग तो कर ही सकते है। सरकार किसके लिए बनती है कौन बनाता है सरकार ? आज वही हाशिए पर चले जाते है। बड़े बड़े कानून बन जाते है, पुराने कानूनों, नीति, नियमो को बदला जा सकता है। विधानसभा, लोकसभा जैसे सदनों में कभी कर्मचारी संगठन की मांगो को की उठता नहीं है। पूरे देश में ये कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है है। छत्तीसगढ़ में भी 20 सालों से एन एच एम के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर आंदोलन प्रदर्शन करते रहे। सरकार आती रही जाती रही पर किसी सरकार के कान में जू तक नहीं रेंगे। 9 दिन चले अढ़ाई कोश जैसे मुहावरे इनके लिए सही बैठते है। सरकार बनने के बाद न जाने कितनी बार कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठके हो गई। नेता मंत्री अपनी वेतन, भत्ते, मोबाइल भत्ते, आवास भत्ते, और न जाने कितने ही फेर बदल कर संवैधानिक पदों का आर्थिक लाभ बढ़ा लिया। और हर सरकार ये काम करती है। पर मजाल हो कि इन 16500 कर्मचारियों की मांगो को कभी कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई हो या किसी मंत्री विधायक ने विषय पर अनिश्चित कालीन आंदोलन के पहले सार्वजनिक बयान दिया हो, नहीं आज तक नहीं कर पाए ! कुछ दिन पूर्व मीडिया में छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से एन एच एम के विषय सवाल पूछा गया कि इनके आंदोलन के बारे में क्या कहेंगे ? उनका जवाब था ये हमारे परिवार के सदस्य है परिवार में कभी कभी कुछ बाते होती रहती है जिसे सुलझा लिया जाएगा, इतना कहकर वो चले गए और जवाब देने से बचते नजर आए। आज उन्हीं परिवार के सदस्यों को सरकार ने धमकी भरे पत्र के माध्यम से नौकरी से निकालने की धमकी तो साथ ही नई भर्ती करने के लिए प्रदेश के 33 जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश भी तत्काल आदेश जारी कर दिए गए। इतनी तत्परता उन मांगो के आदेश जारी करने में दिखा देते तो आज 30 दिनों से चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर आ चुकी होती। सरकार को ये समझना होगा कि ये विषय आगे जाकर विकराल रूप ले सकती है। समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो परिणाम बहुत गंभीर और अपेक्षाकृत नहीं होगा। जिसकी जिम्मेदार सरकार ही होगी। जिन मांगो को सरकार मानने का दावा कर रही है उनके आदेश जारी तक नहीं किए गए। और जो आदेश जारी किए गए उनमें भी किंतु परंतु लगाकर अड़चन पैदा कर दी गई। संगठन के द्वारा उसमें आपत्ति दर्ज कराई जिसे सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया। शासन ने मांगो को लेकर कमेटियां बनाई उन कमेटी में एन एच एम संगठन के किसी भी पदाधिकारी को सदस्य के रूप में नहीं रखा गया ! समिति में किसी नीति नियम में यदि लाभ या हानि, उचित अनुचित का विषय आए तो उसे कौन निर्धारित करेगा। यदि आप स्वयं सब निर्धारित करना चाहते है तो प्रशासनिक अधिकारीगण और सरकार ये समिति बनाने का दिखावा और ढकोसला क्यों कर रही है! एनएचएम कर्मचारी संघ ने कहा है कि आपने कहा था हमने बनाया है हम ही संवारेंगे, सवाल ये है आपने बनाया आप कब संवारेंगे ? आगे पूरे प्रदेश में आंदोलन और तेज और उग्र होगा। यदि सरकार प्रशाशन दमन की नीति अपनाएगी तो संगठन की ओर से भी संवैधानिक तरीके से जवाब दिया जाएगा। समस्त जिला की ओर से राज्यपाल महोदय से इच्छामृत्यु मांगी जा रही है। कुछ दिनों में जेल भरो आंदोलन किया जाएगा। जैसे जैसे दिन बढ़ते जा रहे है संगठन मजबूती के साथ आंदोलन में खड़ा रहेगा। मुंगेली जिला के समस्त हड़ताली कर्मचारियों के द्वारा शपथ लिया गया की ज़ब तक मांग पुरा नहीं होता हम संघ का साथ देंगे।सरकार अपनी संवेदनशीलता दिखाए, जो घोषणा पत्र में वादा किया गया था उसे निभाए, एन एच एम संगठन के प्रदेश अमित कुमार मिरी ने दो दिन पहले भी सोशल मिडिया के माध्यम से कहा कि सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेड पे जैसे मांगो को पूरा करने का लिखित अश्वाशन दे दे और जो भी निर्धारित समय लेना है लेले। साथ ही जो पांच मांगे मानी गई उनकी आपत्ति दर्ज कराई गई उनको ध्यान में रखते हुए आदेश जारी करें और बर्खास्त साथियों की ससम्मान वापसी हो, हम अपना हड़ताल स्थगित कर देंगे। परंतु कई दौर के बैठक प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से भी पर कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार को वार्ता कर बीच का रास्ता निकालना होगा अन्यथा प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं विकराल रुप ले सकती है और साथ ही सरकार के लिए भी मुसीबत खड़ी हो सकती है। इसलिए सरकार इनकी मांगो को लेकर संवेदनशील रवैया अपनाए और इनकी मांगो को लिखित आदेश देकर हड़ताल खत्म कराएँ! धरना प्रदर्शन मे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के समस्त चिकित्सा अधिकारी आयुष, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी,स्टॉफ नर्स,ए एन एम, आर एम ए,जे एस ए, फरमासिस्ट, विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक, विकासखंड लेखा प्रबंधक, विकासखंड डाटा प्रबंधक, जिला स्तर से टी बी विभाग के समस्त अधिकारी कर्मचारी एवं कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के समस्त अधिकारी कर्मचारी सहित बड़ी संख्या मे एनएचएम के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित रहे!
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