
कथा में बताया भगवान का अवतार पापो का नाश करने के लिए होता है – देवी कृष्णप्रिया
कथा सुनने पहुचे भक्तगण
सभी ग्रंथो में श्रेष्ठ है श्रीमद् भागवत महापुराण-देवी कृष्णप्रिया
जितेन्द्र पाठक

जिंदल परिवार के द्वारा आयोजित कथा में उमड़ रही भक्तो की भीड़

लोरमी-जिंदल परिवार के द्वारा अपने निवास में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है। कथा के पहले दिवस भव्य कलश यात्रा निकाली गई, और अंतराष्ट्रीय कथा वाचिका देवी कृष्णप्रिया के श्रीमुख से भागवत कथा के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुऐ भागवत भगवान के बारे में बताया। कथा के दूसरे दिन प्रथम स्कंद, भगवान 24 अवतार एवं ब्यास-नारद का संवाद की कथा कही। कथा के दूसरे दिन आसपास के लोग बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने के लिए पहुचे थे। दोपहर 3 बजे से प्रारंभ होकर शाम 7 बजे तक हो रही है। कथा के दूसरे दिन देवी कृष्णप्रिया ने कहा कि भागवत चारा शब्द मिलकर बना है, जिसमें संपूर्ण भवसागर का सार छुपा हुआ है। भागवत के पहले अक्षर है भक्ति, जो भगवान श्रीकृष्ण राधारानी में अपनी संपूर्ण जीवन समाहित कर दें। दूसरा अक्षर है ज्ञान, जो मानस रूपी भवसागर में प्रकाश रूपी ज्ञान भगवान ने भागवत भगवान में प्रकाशित किया है। तीसरी शब्द का अर्थ होता है तपस्या, तप हमारे जीवन में उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी की शरीर के लिए अन्न। कथावाचिका ने भगवान के 24 अवतार के बारे में बताया कि जब भी धरती पर अधर्म और पाप बढ़ता है, तब भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। और अपने भक्तो की रक्षा करते है। श्रीमद् भागवत कथा पुराण सभी ग्रंथो में सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। कथा वाचिका ने कहा कि हमे सभी जीवो के प्रति दया और करूणा की भावना लेकर चलना चाहिऐ और हम स्वयं भगवान के भक्ति में समाहित कर लें। हमें अपने बच्चो को प्रतिदिन मंदिर लेकर जाना चाहिऐ, जिससे संस्कार रूपी रस का पान कर सकें और आने वाले समय में हम सुंदर और भव्य भारत का निर्माण कर सकें। उन्होने सभी माताओ, बहनो एवं उपस्थित श्रोताओ को नारी का सम्मान करने के लिए कहा और कहा जिस घर में नारी का सम्मान होता है चाहे व माॅ हो, पत्नि हो बहन हो, भाभी हो, चाची हो हमें उनका आदर करना चाहिये।

श्रीमद् भागवत कथा में भगवान के 24 अवतारों की व्याख्या की जाती है, जैसे कि मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम और कृष्ण, सनकादि मुनि, नारद, नर-नारायण, कपिल मुनि, हंस, यज्ञ, ऋषभदेव, आदिराज पृथु, धन्वन्तरि और मोहिनी अवतार है। सभी कथा हम सभी भक्तों को जीवन में महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती हैं, कथावाचिका ने आगे कहा कि आज कल लोग मूर्ति पूजा को नहीं मानते और ईश्वर को सर्वत्र मानते हैं तो वे यह भी समझें जब ईश्वर सभी जगह है तो विग्रह में भी है तो विग्रह पूजन में हर्ज कैसा? चंचल मन को निराकार ईश्वर में लगाना अत्यंत मुश्किल है इसलिए भक्ति की शुरआत विग्रह से करें जब तक आप इस अवस्था में न आ जाएं ही ईश्वर के दर्शन आपको सर्वत्र हों। भक्ति से हमें अपने अस्तित्व का भान होता है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पवन अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल सहित जिंदल परिवार जुटे हुऐ है।
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