
जितेन्द्र पाठक
लोरमी – अखिल भारतीय श्री रामकथा समिति द्वारा मानस मंच लोरमी में चल रही श्री राम कथा के विराम दिवस पर चिन्मयानंद बापू ने कहा कि हनुमान जी महाराज भगवान से मिलने आए ब्राह्मण रूप में आए थे तो भेष बदल कर आए ब्राह्मण भेष मैं भगवान पहचान गए तब हनुमान जी महाराज चरणों में गिर पड़े और रोने लगे तब हनुमान जी महाराज कहने लगे की मैं आपका जन्म-जन्मांतर का सेवक हूं आप मुझे भूल गए प्रभु तब हनुमान जी महाराज ने अपना वास्तविक रूप लिया तब प्रभु ने उठाकर हनुमान जी को अपने गले से लगाए कहां की हनुमान जी आप मुझे लक्ष्मण से अधिक प्रिय हो तब हनुमान जी महाराज ने कहा कि विश्व मुख पर्वत पर महाराज सुग्रीव रहते हैं वह आपका दास है जैसे आपकी पत्नी का अपहरण हुआ है वैसे उनकी ही पत्नी का अपहरण हो चुका है हनुमान जी ने कहा प्रभु यह नियम अपने ही बनाया है ना जब गजेंद्र पर कृपा किया तब आपने अपना परिचय दिया था साधना करते-करते जब मानव इतने ऊपर से पहुंच जाता है

हनुमान जी महाराज ने कहा जब आप सबके पास चल कर गए माता शबरी के पास अहिल्या के पास यह बेचारा आपका क्या किया यह विचार आपका दास है उसको भी अपने शरण में लीजिए ना तब हनुमान जी महाराज ने कहा कि आइये आप हमारे पीछे बैठ जाइए जीव कब भगवान को पकड़े अब कब छोड़ दे इसलिए भगवान अगर जीव को पकड़ते हैं तो उसका कल्याण हो जाता है माता सीता की खोज में चारों तरफ बंदर गए पीछे पवन तनय ने सर झुका कर बच्चों और युवाओं के सीख लेना चाहिए प्रेरणा लेने चाहिए हनुमान जी महाराज कुछ लोग ऐसे होते हैं ना का भक्ति करें कब छोड़ दें भक्ति में सबको धमक लगाना पड़ता है कथा में भी धक्का लगाना पड़ता है चलो कथा सुन बापू ने कहा कि आज समाज में भी अच्छा कार्य करने के लिए धक्का लगाना पड़ता है प्रेरित करना पड़ता है राम कार्य में पीछे से धक्का लगाना पड़ता है भगवान समझ गए कि जो सबसे पीछे है यही मेरा कार्य करेगा तब भगवान ने अपनी मुद्रिका श्री हनुमान जी को दिया हनुमान जी महाराज ने मुद्रिका का मुख में रख लिया राम नाम जेब में नहीं रखा जाता हमको मुख में ही रखा जाता है बापू ने कहा भक्ति वही कर सकता है जो अपने देह अभिमान से ऊपर उठ जाता है वही भक्ति कर सकता है आगे सुंदरकांड की कथा सुनाते हुए भगवान की दी हुई वस्तु पर हम अभियान करते हैं कि यह मेरा जबकि मेरा कुछ भी नहीं सब प्रभु का दिया हुआ है अब महाराज ने कहा हनुमान जी महाराज से राम कार्य के लिए हुआ उनके हनुमान जी महाराज पर्वता कार हो गए महाराज जी ने कहा कि जामवंत मंत्री आती बूढ़ा जामवंत जी बूढा आज बच्चे अपने बड़ों को दादा दादी माता-पिता की बात नहीं मानते आज बच्चे युवा बड़ों की बात नहीं मानते जिस दिन बड़ों की बात मानने लगेंगे उसे दिन से आपके जीवन में सुंदर कार्य होने लगे आगे सुंदर हनुमान जी का चरित्र का विस्तार करते हुए लंका कांड की कथा सुनाते हुए भगवान राम अयोध्या वापिस आए और यहां भगवान राम का भव्य राज्य अभिषेक हुआ इसी के साथ कथा विराम हुई इस अवसर पर श्री राम कथा समिति के सभी पदाधिकारी से आशीर्वाद प्राप्त किये। समिति के जगदीश सोनी, नितेश पाठक, शैलेन्द्र सलुजा, राकेश दुबे, अशोक जायसवाल, मुकेश सापरिया, सन्तोष साहू, राजेन्द्र सलुजा, अशोक साहु, अखिलेश केशरवानी, अशोक शर्मा, महेंद्र खत्री, विश्वास दुबे, सुभाष चंद्राकर, सुजीत वर्मा, अशोक जायसवाल, जय जयराम राजपूत, बादल मौर्य, रामपाल राजपूत, बंशीलाल साहू, पवन खत्री, पुरषोत्तम अग्रवाल, जनक राजपूत, नन्दकुमार चतुर्वेदी, हरिशंकर जायसवाल, सुभाष ठाकुर, नरेंद्र खत्री, अनूप जायसवाल, श्रेय त्रिपाठी, अक्षत शर्मा, राकेश जायसवाल, शशांक वैष्णव, कृष्ण कुमार शर्मा, भूपेंद्र ठाकुर, भूपेन्द्र वैष्णव, बैजनाथ शर्मा, सोहन डड़सेना, मनीष सोनी, महेश जायसवाल, प्रकाश खत्री, आकाश वैष्णव, राजेन्द्र पाटकार, कमलेश श्रीवास, आशिष गुप्ता, नन्दकुमार गोयल, यतीन्द्र खत्री, दीपक कश्यप, भावेश खत्री, आयुष पाठक, अंशुमान दुबे, आदर्श दुबे, सहित आदि उपस्थित रहे।
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