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कथावाचक परम् पुज्य संत चिन्मयानंद बापू की जीवनी

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जितेन्द्र पाठक

लोरमी – लोरमी श्रीराम कथा के कथावाचक परम् पुज्य संत चिन्मयानंद बापू का जन्म माँ गंगा के पावन तट पर उत्तर प्रदेश के जिला मिर्जापुर के एक छोटे से ग्राम गैपुरा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ बचपन से ही महाराज जी की रुचि भागवत साधना और धार्मिक कार्यो में थी
और इसी के चलते महाराज जी ने मात्र 9 वर्ष की अल्प आयु में अपना घर छोड़ते हुए श्री धाम अयोध्या वास करने का फैसला लिया और संतों की टोली में शामिल होते हुए अयोध्या पहुँचे
जहाँ पर पूज्य बापू जी की मुलाक़ात परम पूज्य सद्गुरु देव महामंडलेश्वर स्वामी राम कुमार दास से हुई और उनके ही सानिध्य में पूज्य बापूजी की शिक्षा और दीक्षा हुई और 14 वर्ष की आयु में बापू जी ने अपनी पहली राम कथा राजस्थान के बूंदी जिला में की और उसके बाद से सम्पूर्ण भारत के साथ दुनिया के कई देशों में बापू जी ने सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए श्रीराम कथा, श्री मदभागवत कथा और श्री शिव महापुराण कथा के माध्यम से अब तक अपने जीवन में 595 कथाओं का गान किया
साथ ही कथाओ के साथ मानवता की सेवा और परहित की भावना लेकर पूज्य बापू जी ने वर्ष 2009 में विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट की स्थापना की और ट्रस्ट के माध्यम से लगभग 5000 ग़रीब बच्चो को स्कूल भेज कर शिक्षा के मार्ग से जोड़ा और बापू जी अपने जीवन में अभी तक 1000 ग़रीब परिवारों की बेटियों का भी विवाह ट्रस्ट के माध्यम से करा चुके है बापू जी ने हरिद्वार की धरा पर माँ गंगा के पावन तट पर एक बहुत ही सुंदर गौशाला का निर्माण भी किया है जिसमे अनेकों गौमाता की सेवा निरंतर चल रही है बापू का सम्पूर्ण जीवन मानवता और सनातन धर्म के लिए समर्पित है।

Ashwani Agrawal
मुंगेली / लोरमी न्यूज़
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