
लोरमी – पौराणिक कथाओं में बहनों द्वारा भाईयों के तिलक कर उनसे निर्भयता का विश्वास प्राप्त करने की बात हिंदू समाज में प्रचलित परंपरा है। इसी का निर्वाह करते हुए लगभग सभी गांवों से भाइयों का अपनी बहनों के घर आने जाने का क्रम बना रहा। समृद्धशाली पूर्वजों के सांस्कृतिक विरासत को वर्तमान पीढ़ी भी बड़े गौरव के साथ निभा रहे हैं। एक साथ पारिवारिक रिश्तों को प्रगाढ़ करने की यह उत्तम व्यवस्था समाज को समरस बनाए रखने में कारगर सिद्ध हो रही है।

लोरमी के सुदूर क्षेत्रों में बहनों ने अपने भाइयों के आरती कर, तिलक लगाकर पूजन करके अनेक व्यंजन पकवान से भाइयों का स्वागत किया है। वहीं बहनों के पैर छूकर प्रणाम करने की रीति भी देखने को मिली। भाइयों द्वारा उपहार स्वरूप कुछ न कुछ द्रव्य देने का भी प्रचलन है। बुजुर्गों, युवाओं महिलाओं बच्चों सब में अपार उत्साह देखने को मिला। कहीं-कहीं जाति बंधनों से परे भी भाई बहनों ने प्रेम का पर्व मनाया। रिश्तों की मिठास को बढ़ाने वाले इस पर्व में व्यापारी वर्ग भी उत्साहित नजर आए, सबके लिए सुलभ सुंदर उपहार और सामग्री उपलब्ध कराए। कुल मिलाकर सबको जोड़ने वाले इस त्यौहार ने सबके मन को सकारात्मक भावों से भर दिया है, संबंधों को मजबूत किया है। इस अवसर पर शिक्षक राजकुमार ने सबको भाई दूज की शुभकामनाएं प्रेषित किया है।

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