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नेक कार्य: साथी हाथ बढ़ाना समाजसेवी संस्था के द्वारा रहंगी विद्यालय के छात्र-छात्राओं को स्वेटर वितरण किया गया | बिलासपुर में सजेगा पत्रकारों का महाकुंभ: छ.ग. प्रखर पत्रकार महासंघ के महासम्मेलन की तैयारियां अंतिम चरण में, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू होंगे मुख्य अतिथि | धान खरीदी को आसान बनाने की दिशा में राज्य सरकार का निर्णायक कदम: धान विक्रय प्रक्रिया हुई सरल, अब दिन-रात 24 घंटे कभी भी मिलेगा तूहर टोकन | कोपरा जलाशय को रामसर साइट का दर्जा — छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट, केन्द्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू के पहल पर बिलासपुर के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि | गुरूघासीदास जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री का लालपुर थाना व सेतगंगा संभावित कार्यक्रम | आयोजन से खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाना का मौका मिलता है – जनपद अध्यक्ष वर्षा सिंह |
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नंदलाल त्यागी महाराज जो कि निर्मल सलिला, सदा नीरा रहे,

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ashwani agrawal

लोरमी – संतों का अवतरण ही समाज और संसार के कल्याण के लिए होता है। वे दुनिया की तमाम कष्ट स्वयं सहकर संसार के लिए सुख शक्ति समृद्धि एवं प्रेम के अमृत वितरण करने के लिए धरा धाम पर आते हैं। इन्हीं संतो में से एक बाबा  नंदलाल त्यागी महाराज जो कि निर्मल सलिला, सदा नीरा मां मनियारी के पावन तट पर स्थित मां भगवती आदिशक्ति नवदुर्गा  की पावन धरित्री श्री सिद्ध पीठ भुतहीडीह बटहा में सिद्ध बाबा मंदिर के संस्थापक एवं निर्माता हैं। जिन्हें प्रेम दया करुणा का साक्षात मूर्तिमंत रूप माना जाता है। जिन्हें मनुष्यों के साथ ही विभिन्न जीव जंतुओं एवं पर्यावरण के समवेत स्नेह था। जिन्हें लकड़बग्घा आदि विविध हिंसक जानवरों के बच्चों के साथ स्वच्छंद रूप से खुले में खेलते हंसते खिलखिलाते देखा गया है। इन महात्मा  का इस धरा धाम से शरीर पूरा होने के उपरांत दिव्य लोक गमन पर संपूर्ण क्षेत्र शोक विह्वल हैं। इनकी यादों पर समस्त क्षेत्र वासियों के द्वारा दिनांक 10 मार्च सोमवार को भंडारा,तेरहवीं एवं पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें देश के विभिन्न मठों, मंदिरों से ख्यातिलब्ध संतों एवं महात्माओं की उपस्थिति रही। इस पल एवं महात्मा  नंदलाल त्यागी महाराज दोनों को यादगार बनाए रखने व उनकी आत्म शांति के निमित्त उपस्थित क्षेत्र वासियों, साधु समाज एवं पेड़ नहीं हम प्राण लगाबो परिवार के द्वारा उनकी स्मृति पर उनके समाधि स्थल के समीप ही दैवीय वृक्ष पीपल के पौधे का रोपण किया गया। साधु समाज के द्वारा उस पीपल वृक्ष का नाम पिपलेश्वर महादेव करते हुए पीपल वृक्ष के नीचे भगवान महादेव की मंदिर स्थापित करने का भी संकल्प एवं आह्वान किया गया।

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