मुंगेली ब्यूरो चीफ – जितेन्द्र पाठक
लोरमी – 1857 क्रांति की प्रथम दीप शिखा झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई की जन्म जयन्ती के अवसर पर राजपूत समाज की नारी शक्ति ने वीरांगना की छायाचित्र के समक्ष दीप जलाकर व माल्यार्पण कर उनके शौर्य और बलिदान को नमन की। इस अवसर पर क्षत्राणी संघ के अध्यक्ष गायत्री सिंह ने कहा कि वीरांगना के शौर्य और बलिदान से प्रेरणा लेकर आज महिलायें हर क्षेत्र में आगे बढ रही है। महारानी ने अपनी नेतृत्व क्षमता और ताकत के बल पर अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर मिथिलेश सिंह ने कहा कि बचपन से ही महारानी लक्ष्मीबाई के त्याग और बलिदान को लेकर कई किस्से और प्रेरक प्रसंग सुने है। 1857 में झाँसी की महारानी वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंक दिया था। इस क्रान्ति में वीरांगना ने युवाओं के साथ-साथ महिलाओं को भी शामिल किया था। उनके आवाहन पर घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलायें भी हंसिया, कुल्हाड़ी व तलवार थाम कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी थी। यही वजह है कि स्वाधीनता संग्राम में महारानी का नाम अग्रणी है। उनके शौर्य को भुलाया नही जा सकता। वीरांगना ने झाँसी राज्य की बागडोर संभालकर देश विदेश में महिलाओं का गौरव बढ़ाया था। चित्रलेखा सिंह ने कहा कि युगों- युगों तक रानी झाँसी का त्याग और बलिदान हमें विषम परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। अध्यक्ष संजय सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया साथ ही कहा कि जब तक आसमान में सूरज और चन्द्रमा रहेगा, तब तक रानी झाँसी का त्याग और बलिदान लोगों की जुबान पर रहेगा। महारानी लक्ष्मीबाई का जीवन युगों-युगों तक लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। खासतौर पर महिलायें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं है। इस अवसर पर नरोत्तम सिंह, कृष्णचंद्र, गणेश, उमेश, महावीर, नरेंद्र, सुदर्शन, शेर सिंह, सतीश, बलराज, पंकज, गोपाल, अशोक, अनिल, हृदय, नंदकुमार, ओंकार, महावीर, मयंक, कृष्णमूरारी, दीनबंधु आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन पूनम सिंह ने किया।