
श्री सिद्धबाबा आश्रम बना है आस्था का केंद्र :
कटनी रेलमार्ग पर बेलगहना स्थित श्री सिद्धबाबा अद्वैत परमहंस आश्रम आस्था का केंद्र बना हुआ है, यहा दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते है। और प्राकृतिक छटा के बीच स्थापित आश्रम में पहुंचकर मन शांत और चित्त स्थिर हो जाता है। मैकल श्रेणी, विंध्य और सुमेरु पर्वत का मूल आधार है, यही से तीनों पर्वत की श्रेणियां प्रारंभ होती है।
बेलगहना की पहाड़ी पर विराजते है स्वयंभू सिद्धबाबा
पांच स्वरूपों के दर्शन एक ही मूर्ति में, दूर – दूर से पहुंचते है श्रद्धालु :
यहां शंभू मूर्ति के रूप में शास्त्रों के अनुसार पंचशील शिव, गणेश, भैरव, हनुमान, सिद्धपुरुष पांचों का स्वरूप एक ही मूर्ति में दर्शन किए जाते है।
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही यहां पर विराजित है, 18वीं, 19वीं शताब्दी से आज तक सिद्ध महापुरुषों की तपो स्थली बनीं हुई है। 19वीं सदी के लगभग दक्षिण पूर्व रेलवे बिलासपुर मध्य भारत तथा उत्तर भारत को जोड़ने के लिए रेल लाइन का निर्माण किया गया। उस समय रेल निर्माण कर्मचारियों तथा ठेकेदारों को कई प्रकार के संकट एवं परेशानियाँ तथा निर्माण कार्य में बाधा आने से स्थानीय मजदूरों के बताने पर इस पहाड़ी के प्रारंभ में रखे हुये स्वंभू वर्तमान में जिसे श्री सिद्ध बाबा के रूप में जाना जाता है।
वहां आकर के नारियल धूप से उनके पूजा अर्चना किये तब से बिलासपुर से पेण्ड्रा तक के कार्य में कोई प्रकार बाधाऐं एवं परेशानियाँ नहीं हुई, ठेकेदार द्वारा उसी समय छोटा सा मंदिर बनवाया गया सिद्ध बाबा जी का धूनि आज भी प्रज्जवलित है। कब से प्रजवलित है अज्ञात है। 1955 में भी अनंतानंद महराज जी यहां उड़िसा जगन्नाथ पूरी से आकर विराजमान थे उनके समाधि तत पश्चात् हम सब भक्तों के परम आराध्य भगवान सदगुरु स्वामी श्री श्री 1008 सदानंद जी महाराज परमहंस 1967 में अनंत श्री श्री राम श्री श्री 1008 श्री स्वामी सहज प्रकाशानंद जी महाराज परमहंस आदेशानुसार यहां आये। उनके आने से लोगों का आना जाना शुरू हुए तथा मंदिरों का निर्माण गौशाला धर्मशाला आदि का निर्माण हुआ।
इस पर्वत श्रृंखला में अनेक वन, गुफा, औषधि, वृक्ष,वन जीव, तथा पर्वत के ऊपर एक छोटा सा कुंड है उसके ऊपर पत्थर नाग नागिन का आकार लिए हुए है, जो इसको ढका रहता है, लोग इसे नाग नागिन कुंड कहते है।
भक्तों के परम आराध्य श्री सदगुरु देव भगवान श्री श्री 1008 श्री स्वामी सदानंद जी महाराज परमहंस के 51 साल का त्याग और तपस्या से आज आश्रम का काफी विकाश हो चुका है।
परम आराध्य श्री स्वामी जी महाराज प्रेम और करुणा साक्षात् स्वरूप थे, उनकी दया भाव से प्रभावित होकर आदिवासी अंचल एवं शहरी क्षेत्र के लोगों (भक्तों) मन मंदिर में आराध्य भगवान के रूप में विराजते है। उनकी दया और कृपा से लोग बड़ी बड़ी कठिनाइयों को आसानी से पार कर लेते है। परम आराध्य श्री स्वामी जी द्वारा ग्यारह रुद्र की ग्यारह आवृति करते हुए रुद्र अति मात्रा के अनुसार पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की गई है, जो पूरे विश्व में अद्वितीय है। पूज्य श्री स्वामी जी महाराज के आगमन के उपरांत से यहां अनवरत भंडारा एवं आने वाले को आश्रम में पूरी व्यवस्था होती है।
स्वामी शिवानंद जी महाराज कर रहे है 36 आश्रम का संचालन :
परम आराध्य श्री स्वामी जी महाराज के परम् दुलारे (लाड़ले) प्रिय शिष्य हम सब भक्तों के परम आराध्य श्री श्री 108 श्री स्वामी शिवानंद जी महाराज बाल्यकाल 6 वर्ष के उम्र से त्याग, तपस्या गुरु सेवा में अपना सर्वस्व (जीवन) अर्पण करते हुए, सदगुरु भगवान, संत महात्मा महापुरुषों के परम सानिध्य में शिक्षा, दीक्षा, संगीत का अध्ययन प्राप्त किए आज उन्हीं के देख रेख (मार्गदर्शन) में बेलगहना सहित 36 आश्रमों जैसे जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, खासतौर पर छत्तीसगढ़ के सभी आश्रमों का सहज संचालन श्री श्री 108 श्री स्वामी शिवानंद जी महाराज के मार्गदर्शन एवं आदेशानुसार संचालन किया जा रहा है। वर्तमान समय में विगत कई वर्षों से विश्व कल्याण हेतू पवित्र श्रावण मास में प्रायः आश्रमों में विधिवत वैदिक मंत्रोपचार के रुद्राभिषेक किया जाता है, जिससे लोगों में भगवान के प्रति भक्ति, आस्था, विश्वास बढ़ती जा रही है। प्रत्येक आश्रम में लोग शिव भक्ति, गुरु भक्ति से प्रेरित होकर दिव्य आनंद की अनुभूति प्राप्त कर रहे है, जिनका फलस्वरूप श्री सिद्ध बाबा आश्रम में दिन प्रतिदिन लोगों की भीड़ एवं आस्था बढ़ती जा रही है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और स्वामी जी का प्रागट्य उत्सव : श्रावण मास के बाद, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे, हमारे परम आराध्य श्री श्री 108 श्री स्वामी शिवानंद जी महाराज का प्रागट्य हुआ था। स्वामी जी का जन्म जन्माष्टमी में होने के कारण भक्तों के मन को सहज रूप से हर लेते है, और प्रभू जी का स्वरूप इतना मनमोहक और रूप लावण्य है,उनके रूप में आकर्षकता, दिव्यता और मधुरता का अद्भुत संगम है। जो सबको अपना बना लेते है और अपने प्रेम से सबको परिपूर्ण कर देते है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और पूज्य श्री स्वामी जी महाराज का प्रागट्य उत्सव बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
शरद पूर्णिमा में जुटती है अपार भीड़
यहा की शरद पूर्णिमा पर्व पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है इस पर्व को मानने के लिए दूर दूर से श्रद्धालू भक्त जन लाखो की संख्या में पहुंचते है। यहां दमा, श्वास की दवाई भक्तों एवं ग्रामवासी द्वारा दिया जाता है साथ ही शास्त्रीय संगीत में भाग लेने के लिए दूर दूर से कलाकार आते है।
बसंत पंचमी में मेले का आयोजन होता है, जो निरंतर 75 वर्षों से चली आ रही है, जिसमें रूद्र महायज्ञ, रामायण, भव्य भंडारा का आयोजन, ब्राम्हण बालकों का उपनयन संस्कार किया जाता है।
यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल – श्री सिद्धबाबा मंदिर, श्री सदगुरु भगवान जी समाधी स्थल, दत्तात्रेय मंदिर, पारदेश्वर शिवलिंग, जगन्नाथ मंदिर, तारा देवी, महाकाल, स्वामी विवेकानंद जी, भारत माता, अमरनाथ मंदिर आदि स्थल है।
- ऐसा मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव से पहुंचते है उनका मनोकामना पूर्ण होता है।
।। श्री सिद्धबाबा अद्वैत परमहंस आश्रम बेलगहना।।
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