दीपोत्सव नारी शक्ति के जागरण का पर्व है, जगह – जगह विराजमान महालक्ष्मी में किया जा रहा है विधिविधान से पूजा अर्चना

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लोरमी – दीप उत्सव का पर्व अंधकार को नष्ट कर प्रकाश फैलाने का रहता है। लोरमी क्षेत्र के विभिन्न गांव में झाफल देवरहट मसनी मसना गुरुवाईनडबरी में विराजमान लक्ष्मी मां के पंडालों में सनातन के ऊपर आने वाले संकटों को रखा गया।

गुरुवाईंडबरी में धर्म जागरण संस्कृति आयाम प्रमुख संजय सिंह ने कहा कि भारत में प्राचीन समय से नारी शक्ति देश धर्म संस्कृति के लिए आत्मोसर्ग करती रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई दुर्गावती अवंतिका बाई पन्नाधाय कर्मा बाई चेनम्मा पद्मावती हाड़ा रानी जैसे देवियों ने देश धर्म के लिए अपना संपूर्ण त्याग कर एक प्रतिमान प्रस्तुत किया। अहिल्याबाई होलकर महिला सशक्तिकरण का आदर्श प्रतिमान रखा। जिहादियों द्वारा बहन बेटियों को बदला करके प्रेम जाल में फंसा लेते हैं और बाद में डूडा हत्या कर देते हैंबेटी बहनों को भी समझना होगा की मां-बाप कितने कष्ट झेल करके अपने बच्चों का लालन पालन करते हैं। कुछ क्षणिक प्रेम के लिए अपने मां-बाप के सम्मान भावना और गरिमा को तार-तार कर देते हैं। मां-बाप की पीड़ा वेदना को भी समझना होगा। कितनी बार टूटते और कितने बार रोते हैं इसकी गहराई की सीमा समझना होगा। मां दुर्गा मां काली अस्त्र शस्त्रों में सुशोभित होती है हमारी नारी शक्ति को भी धर्म रक्षा के लिए सशक्त और मजबूत होना होगा।अपने ऊपर और धर्म के ऊपर आने वाले संकटों से निपटने हेतु दुर्गा वाहिनी से जुड़ना होगा। इस अवसर पर राजकुमार कश्यप बालमुकुंद सिंह विजय निषाद ताम्रध्वज कश्यप कमलेश्वर कश्यप अरुण साहू आदि उपस्थित रहे।

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Author: ashwani agrawal

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