विष्णुकांति महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.अलका यादव रविंद्र भवन भोपाल में हुई सम्मान्नित

जिला ब्यूरो- जितेंद्र पाठक
लोरमी. ग्रामीण स्थित विष्णुकांति महाविद्यालय छीतापार लोरमी में पदस्थ प्राचार्य डॉक्टर अलका यतीन्द्र यादव को भोपाल में जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. अलका यतीन्द्र यादव ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपरा पर शोध पत्र प्रस्तुत कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनके शोध का विषय “छत्तीसगढ़ के यदुवंशियों के लुप्त होते वाद्य यंत्र” था, जिसमें उन्होंने अलगोजवा, बॉस और बांसुरी के महत्व पर प्रकाश डाला।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 25 से 30 जनवरी 2025 तक भोपाल में हुआ, जिसमें लोक संस्कृति और वाद्य यंत्रों के संरक्षण पर मंथन किया गया। संगोष्ठी के दौरान देशभर के विद्वानों ने लोक संगीत और वाद्यों की अहमियत पर अपने विचार रखे।इसी कड़ी में डॉ. अलका यादव ने अपने व्याख्यान में बताया कि छत्तीसगढ़ के यदुवंशी लोक जीवन में अलगोजवा, बॉस और बांसुरी न सिर्फ संगीत के साधन रहे हैं, बल्कि ये उनकी सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आधुनिकता की दौड़ में ये पारंपरिक वाद्य यंत्र धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं, जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। संगोष्ठी के दौरान लोक कला और परंपराओं को सहेजने के लिए विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार साझा किए। आयोजन के अंतिम दिन डॉ. अलका यादव को उनके उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए सम्मानित किया गया। डॉ. अलका यादव ने कहा इस सम्मान को छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और लोक कलाकारों को समर्पित करती हु और हमेशा छत्तीसगढ़ की मान सम्मान को आगे बढ़ाने का कार्य करती रहूंगी साथ ही आगे भी लोक वाद्यों और संगीत पर शोध कार्य जारी रखूंगी ! इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के शिक्षाविदों और संस्कृति प्रेमियो और महाविद्यालय के संचालक सुनील लहरे प्राध्यापक शेर सिंह, अजय टंडन, प्रदीप डोंडे, नारायण जोगांश, वृन्दावन खांडे, गंगोत्री लहरे, मनीषा सिंह और महाविद्यालय की छात्राओं ने हर्ष ब्यक्त किया है !
