मुंगेली – डॉ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान छत्तीसगढ़ का 33वां स्थापना दिवस मनाया गया। संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र दिवाकर, प्रादेशिक सचिव एवं व्यवस्थापक एच.आर.भास्कर एवं प्राचार्य श्रीमती आशा दिवाकर द्वारा सर्वप्रथम डॉ. भीमराव अम्बेडकर के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। संस्थान के स्थापना के संबंध में संस्थाध्यक्ष ने बताया कि सर्वप्रथम संरक्षक बी.पी.केशकर एवं प्रथम अध्यक्ष बलदाऊप्रसाद खाण्डे के नेतृत्व में नवयुवक मंडल समिति का गठन किया गया। रजिस्टार फर्म्स एवं सोसायटी मध्यप्रदेश द्वारा 21.10.1992 को पंजीकृत किया गया। संस्था का कार्यक्षेत्र तब संपूर्ण मध्यप्रदेश था। बाद में सर्वसम्मति से समिति की ओर से मुझे संस्थाध्यक्ष का दायित्व जनवरी 1995 में सौंपा गया। समस्त सदस्यों द्वारा 17.09.1998 को नवयुवक मण्डल समिति के स्थान पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान के नाम से तथा उद्देश्यों एवं कार्यालयीन पता में भी परिवर्तन कर संशोधन कराया गया तब से यह संस्थान भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान के नाम से प्रचलित है। संस्था का कार्यक्षेत्र अब संपूर्ण छत्तीसगढ़ है। संस्था द्वारा समाज के हर क्षेत्रों में विकास के लिए प्रयासों में कोई कमी नहीं किया गया। विषम परिस्थितियों में भी 32वर्ष पूर्ण कर आज 33वां सोपान पर पहूंचने में जो सीढ़ी की तरह काम किया गया वह छात्र-छात्राओं, अभिभावकों, संस्था के कर्मचारियों, सदस्यों व पदाधिकारियों तथा आप सभी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिले सहयोग एवं प्रेरणा ही है। संस्थान शिक्षा, स्वास्थ्य, शारीरिक, सामाजिक कल्याण, निःशक्त कल्याण, पर्यावरण, व्यावसायिक शिक्षा, कोचिंग आदि क्षेत्रों में अपना कार्य कर रही है। अशिक्षा के वातावरण से समाज को मुक्त कराना और नैतिक शिक्षा का पक्ष विकसित करना संस्थान की मूल चिंता रही है। साक्षरता एवं नशा विरोधी अभियान चलाकर जनचेतना का संचार करने में अग्रणी गरीब, ग्रामीण एवं प्रतिभावान विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग एवं प्रशिक्षण प्रदान करने में सफल प्रयास किया है। पर्यावरण जागरूकता, स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन के अलावा राज्य स्तर पर विभिन्न जिलों में 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा के प्रतिभावान छात्रों तथा उत्कृष्ट एवं वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान तथा समाज को एकसूत्र में बांधने विविध रचनात्मक कार्यों जैसे छड़ीदार, भंडारी, कड़ीहार सत्संग एवं प्रशिक्षण आदि में संस्था की जीवंत भागीदारी उल्लेखनीय है इन्हीं के फलस्वरूप राज्य निर्माण के पंचम वर्षगांठ के अवसर पर 2005 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सामाजिक चेतना एवं सामाजिक न्याय क्षेत्र में गुरूघासीदास सम्मान से सम्मानित किया गया। आज 33वीं सोपान में पहुँचने पर संस्था के उन समस्त पदाधिकारियों एवं सदस्यों को नमन करता हूं। संस्था के प्रादेशिक सचिव एच. आर. भास्कर ने कहा कि मैं संस्था के प्रारंभ से ही जुड़ा हुआ हूं संस्था के प्रत्येक गतिविधियों में मेरी पूर्ण भागीदारी है संस्था के सदस्य एवं पदाधिकारी के रूप में मुझे जो कार्य करने का अवसर मिला उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। आप सभी के सहयोग से ही कम समय में ही अधिक उपलब्धियां प्राप्त हुई है। संस्था की प्राचार्य श्रीमती आशा दिवाकर ने कही कि मैं इस संस्था में विगत 28वर्षों से सेवा दे रही हूं। हम सबकी त्याग और सेवा से संस्था इस मुकाम पर पहुंची है। सभी सदस्यों, पदाधिकरियों ने 33वां स्थापना दिवस पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। अंत में संस्था के उन सभी दिवंगत सदस्यों को दो मिनट मौन श्रद्धांजली अर्पित की गई। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्रा, अभिभावक, शिक्षक-शिक्षिका एवं संस्था के सदस्यगण उपस्थित रहे। आभार प्रदर्शन संस्था के उपप्राचार्य छत्रपाल डाहिरे ने किया।
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